रेडीओ का अविष्कार किसने किया और कब हुआ था?

Radio Ka Avishkar Kisne Kiya Kab Hua Tha
Photo of author

By Admin

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Radio Ka Avishkar Kisne Kiya Or Kab Hua? Sabse Pehle Radio Ka Avishkar Kisne Kiya Tha? भारत में सर्वप्रथम रेडियो का उद्घाटन कब हुआ था? रेडियो सबसे पहले किस वैज्ञानिकों ने आविष्कार किया? जैसे जैसे सवाल हर सभी के मन में ज़रूर आता हैं। पर इसका सटीक जवाब नहीं मिल पता हैं। इसलिए आज हम Radio ke avishkarak, Vaigyanik ka naam(वैज्ञानिक का नाम), इतिहास, History in Hindi सभी जानकारी यहाँ पेश कर दिया है। ताकि आपको हर जानकारी एक जगह ही मिल जाएँ।

FM का इस्तेमाल तो हम सभी ने किया हैं। आपने भी रेडीओ ज़रूर सुना होगा। लेकिन हम radio को ही FM ज़्यादातर बोलते आ रहें हैं। रेडीओ के माध्यम से नए और पुराने गाने सुनते आ रहे हैं। साथ ही साथ रेडियो पर क्रिकेट मैच, ताज़ा ख़बरें, और आकस्मिक घटनाएँ, इमरजेंसी सेवाएँ भी सुनने को मिलती हैं।

वर्तमान समय में हमारे पास बाहर की दुनिया की खबर लेने के लिए, मनोरंजन के लिए और स्पोर्ट्स एक्टिविटी आदि के बारे में जानने के लिए एक से बढ़कर एक उपकरण और टेलीकम्युनिकेशन माध्यम जैसे की टेलीविजन, इंटरनेट और अन्य कई चीजे उपलब्ध हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब यह सभी आधुनिक आविष्कार नहीं हुए थे।

टेलीकम्युनिकेशन की दुनिया में क्रांति लाने वाला पहला आविष्कार रेडियो था। रेडियो ने एक तरह से दुनिया को जोड़ने का काम किया था। लेकिन काफी सारे लोग नहीं जानते की ‘रेडियो का आविष्कार किसने किया‘ और ‘रेडियो का आविष्कार कब हुआ‘? अगर आप भी उन्ही लोगो में से एक हो तो यह लेख पूरा पढ़े। क्युकी इस लेख में हम आपको ‘रेडियो के आविष्कार की पूरी जानकारी‘ आसान भाषा में देने वाले हैं।

Radio का आविष्कार किसने किया?

रेडियो के आविष्कार के बारे में हम इस लेख में विस्तार से बात करेंगे। लेकिन उससे पहले यह जानना जरूरी हैं कि आखिर रेडियो क्या होता हैं। हममे से काफी सारे लोग ऐसे होंगे जिन्होंने शायद रेडियो को कभी देखा तक नहीं होगा।क्योंकि वर्तमान में विभिन्न आधुनिक उपकरणों की उपयोगिता के चलते रेडियो का उपयोग काफी कम हो गया हैं।

लेकिन एक समय ऐसा भी था जब रेडियो लोगो के मनोरंजन का सबसे बड़ा माध्यम हुआ करता था। ना केवल मनोरंजन का बल्कि लाइव खबरे और स्पोर्ट्स के लिए भी रेडियो इकलौता माध्यम था। हमे शायद इसका महत्त्व ना समझ आये। लेकिन हमारे माता-पिता और दादा-दादी को रेडियो के महत्व के बारे में अच्छे से जानकारी हैं।

रेडियो को मुख्य रूप से हम सभी लोग एफएम(FM) ही समझते है। क्युकी उसे ही सामान्य तौर पर रेडियो कहा जाता हैं। लेकिन रेडियो का तात्पर्य एक ऐसी प्रौद्योगिकी से हैं जिसके द्वारा बिना किसी वायर के रेडियो तरंगो (Radio Waves) का उपयोग करते हुए संदेशो या फिर कहा जाये तो ध्वनि को ट्रांसफर किया जाता हैं।

सरल भाषा में, रेडियो एक ऐसी प्रद्योगिकी है जिसमे रेडियो वेव्स का उपयोग करते हुए सिग्नलिंग और कम्युनिकेटिंग की जाती हैं। अगर आप नहीं जानते की रेडियो वेव्स क्या होती हैं। तो बता दे की Radio Waves एक प्रकार की इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स होती हैं। जिसकी फ्रीक्वेंसी 30Hz से लेकर 300GHz तक रहती हैं।

>Telephone का अविष्कार किसने किया और कब हुआ?

>मोबाइल का अविष्कार किसने किया और कब हुआ था?

>TV का अविष्कार किसने किया? और कब हुआ था?

>बल्ब का आविष्कार किसने किया और कब हुआ?

रेडियो का आविष्कार किसने किया?

इस बात में कोई दो राय नहीं हैं की रेडियो प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने लोगो के जीवन को काफी आसान बनाया हैं। और कई ऐसे कार्यो को संभव बनाया हैं जिनके बारे में कभी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। रेडियो का अविष्कार अब तक के सबसे महत्वपूर्ण आविष्कारों में से एक हैं लेकिन उसके बावजूद भी काफी कम लोगो को यह पता हैं की आखिर ‘रेडियो का अविष्कार किसने किया’?

Radio Ke Avishkarak

किसी भी बड़े आविष्कार की तरह रेडियो के आविष्कार से भी कई नाम जुड़े हुए हैं। लेकिन रेडियो के आविष्कार का श्रेय जाता हैं इटेलियन आविष्कारक गुल्येल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) को जिन्होंने सफलतापूर्वक रेडियो का अविष्कार किया। गुल्येल्मो मार्कोनी (Guglielmo Marconi) वह व्यक्ति थे जिन्होंने रेडियो वेव्स की खोज के बाद ऐसा उपकरण तैयार किया जिससे सफलतापूर्वक रेडियो वेव्स का उपयोग करके संचार किया जा सकता था।

Radio अविष्कारक के नाम

अगर आप google पर “Who was Invented Radio” सर्च करोगे तो आपको 3 नाम मिलेंगे। जिसमें से Guglielmo Marconi, Reginald Fessenden और William Dubilier, हैं। इतना ही नहीं, इनके अलावा और भी नाम रेडियो के आविष्कारक हैं। लेकिन रेडियो के अविष्कार का मुख्य श्रेय “Guglielmo Marconi” को सबसे ज़्यादा माना गया हैं।

रेडियो का अविष्कारक कौन था

जवाब:- गुल्येल्मो मार्कोनी

Radio Ka Avishkar Guglielmo Marconi

Radio का आविष्कार कब हुआ?

‘रेडियो का आविष्कार किसने किया’ इसकी जानकारी हम आपको दे चुके हैं। लेकिन यह जानना भी जरूरी हैं की आखिर ‘गुल्येल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार कब किया? दरअसल रेडियो के आविष्कार की कहानी तभी से शुरू हो जाती हैं जब इलेक्ट्रोमेग्नेटिक किरणों के बारे में पहली बार बात हुई। लेकिन रेडियो का सफल आविष्कार पहली बार Guglielmo Marconi के द्वारा किया गया था। गुल्येल्मो मार्कोनी ने रेडियो का आविष्कार साल 1895 में दिसंबर में किया था।

रेडियो के आविष्कार का इतिहास

यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं की रेडियो विश्व के अब तक के सबसे बड़े आविष्कारों में से एक हैं। रेडियो के आविष्कार की वजह से की अकल्पनीय कार्य भी आज संभव और यहाँ तक की काफी सामान्य हो चुके हैं। ‘रेडियो का आविष्कार कब हुआ’ और ‘रेडियो का आविष्कार किसने किया’ के विषय पर तो हम आपको जानकारी दे चुके हैं।

लेकिन अगर आप रेडियो के आविष्कार को सटीक रूप से समझना चाहते हो तो इसके लिए आपको ‘रेडियो के आविष्कार का इतिहास’ भी जानना होगा। रेडियो फ्रीक्वेंसी से सफलतापूर्वक ट्रांसमिशन करने वाले उपकरण का आविष्कार भले ही Guglielmo Marconi के द्वारा किया गया हो. लेकिन इस आविष्कार की शुरुआत यहाँ से नहीं होती।

रेडियो के आविष्कार की शुरुआत एलेक्ट्रोमैगेटिस्म की खोज से होती हैं। ईलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म कोई कुछ सालो पुरानी खोज नहीं हैं बल्कि इससे जुड़े सिद्धांत सालो से दिए जा रहे हैं। इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के क्षेत्र में कई वैज्ञानिको के द्वारा कई महत्वपूर्ण खोज भी की गयी हैं।

साल 1800 के करीब Alessandro Volta ने एक ऐसे उपकरण का निर्माण किया था. जो इलेक्ट्रिक करंट को उत्पन्न करता था। इसके बाद साल 1802 में Gian Domenico Romagnosi ने बताया की इलेक्ट्रिसिटी और मैग्नेटिज्म के बिच संबंध हो सकता है। और यह कई उपयोगी उपरकणो के निर्माण में काम आ सकता हैं।

इसके बाद साल 1820 में Hans Christian Ørsted ने एक एक्सपेरिमेंट के द्वारा बताया कि एक करंट वाला वायर कम्पास की मेग्नेटिक सुई को विक्षेपित कर सकता है। इससे प्रभावित होकर André-Marie Ampère ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म पर काम करना शुरू किया।और इससे संबंधित सिद्धांत दिए।

उसके बाद कई वैज्ञानिको ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म पर ध्यान देना शरू किया। इसके बाद साल 1831 में Michael Faraday ने Electromagnetic Induction की खोज की। Michael Faraday ने बताया कि Electromagnetic Forces कंडक्टर के आस-पास मौजूद खाली जगह में एक्सटेंड करते हैं। इसके बाद 1846 में माइकल फैराडे ने बताया कि प्रकाश Force Field में एक डिस्टर्बेंस होता हैं।

इसके बाद इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के क्षेत्र में कई अन्य आविष्कार और प्रयोग हुए जिस इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के कई सिद्धांतो के कई सिद्धांतो के बारे में पता चला। इसके बाद समय आया James Clerk Maxwell का। जिन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म के क्षेत्र में हुए विकास में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता हैं।

James Clerk Maxwell ने साल 1861 से लेकर 1865 के बिच इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म से संबंधित पिछले सभी प्रयोगो और सिद्धांतो का सटीक रूप से अध्ययन किया। इसके बाद उन्होंने Electromagnetism पर रिसर्च की और Electromagnetism को लेकर अपने सिद्धांत दिए। साल 1873 में मैक्सवेल ने इलेक्ट्रोमग्नेटिक वेव्स के प्रसार के सिद्धांतो को दुनिया के सामने रखा। उन्होंने इलेक्ट्रोमैग्नेटिज्म को लेकर अपने समीकरण भी दिए।

इसके बाद Oliver Heaviside ने मैक्सवेल के सभी मूल समीकरणों को 4 मुख्य समीकरणों में रिफॉर्मुलेट किया। इन दोनों ने इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स को लेकर सटीक फार्मूला तो दे दिए लेकिन किसी ने रेडियो वेव्स को ट्रांसमिट और रिसीव नहीं किया। लेकिन इनकी ही वजह से रेडियो के क्षेत्र का विकास सम्भव हो पाया।

क्युकी अब दुनिया को इलेक्ट्रोमेग्नेटिज्म के बारे में पता चल चूका था और इसके सिद्धांत मिल चुके थे तो वैज्ञानिको के द्वारा इस क्षेत्र में प्रयोग किये जाने लगे। साल 1859 में एक जर्मन फिजिसिस्ट Berend Wilhelm Feddersen ने इस क्षेत्र में लेडेन जार के साथ प्रयोग किया। यह प्रयोग सफल हुआ और इससे साबित हुआ की बिजली की चिंगारियों Damped Oscillations से बनी थी।

इसके बाद साल 1870 में एक जर्मन फिजिसिस्ट Wilhelm von Bezold ने खोज की की एक Capacitor Discharge द्वारा कंडक्टरों में उत्पन्न होने वाले Advancing and Reflected Oscillations ने interference Phenomena को उत्पन्न किया। इसके बाद साल 1876 में Elihu Thomson और E. J. Houston ने High Frequency Oscillatory Discharges पर कई प्रयोग किये। इन प्रयोगो से वैज्ञानिको को इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स के बारे में काफी कुछ सिखने को मिला।

इतिहास-2

इसके बाद साल 1883 में George FitzGerald ने बताया की एक केपेसीटर के डिस्चार्ज से इलेक्ट्रोमेग्नेटिक तरंगो को उत्पन्न किया जा सकता हैं। लेकिन उस समय इलेक्ट्रोमेग्नेटिक तरंगो के बारे में पता लगाने के लिए कोई यन्त्र नहीं था। तो उनके सुझाव को फॉलो नहीं किया गया।

इसके बाद बारी आई Heinrich Rudolf Hertz की जिनका योगदान इलेक्ट्रोमेग्नेटिक किरणों के क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। Heinrich Rudolf Hertz वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने मैक्सवेल के सिद्धांतो को फॉलो करते हुए एक सफल प्रयोग किया। उन्होंने यह साबित कर दिया की इलेक्ट्रोमेग्नेटिक वेव्स होती हैं और ट्रांसमिशन के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं। इसके ऊपर उन्होंने के किताब भी तैयार की जो दुनिया भर के भौतिक वैज्ञानिको ने पढ़ी।

Heinrich Rudolf Hertz के द्वारा दिए गए सिद्धांतो को दुनिया भर के वैज्ञानिको ने फॉलो किया। Hertz ही वह व्यक्ति थे जिनकी वजह से रेडियो तरंगो के बारे में लोगो को पता चला था। बाद में 1890 में Édouard Branly के द्वारा पहली बार सफलतापूर्वक एक रेडियो कंडक्टर का आविष्कार किया गया और यही से शुरुआत हुई रेडियो के आविष्कार की।

कई वैज्ञानिको और आविष्कारकों ने एक ऐसा उपकरण बनाने की कोशिश शुरू कर दी जिससे रेडियो तरंगो का उपयोग करते हुए टेलीग्राफी की जा सके। सरल भाषा में आविष्कारक एक ऐसा यन्त्र बनाना चाहते थे जो रेडियो वेव्स का उपयोग करते हुए टेलीकम्युनिकेशन कर सके। Alexander Stepanovich Popov और Nikola Tesla ने इससे समबंशित आविष्कार भी तैयार किये।

लेकिन जो वैज्ञानिक सटीक रूप से रेडियो वेव्स के द्वारा टेलीकम्युनिकेशन हेतु एक सटीक उपकरण बनाने में सबसे पहले सफल हुए वह थे Guglielmo Marconi! गुगलेल्मो मारकोनी ही वह पहले व्यक्ति थे जिन्होने रेडियो का आविष्कार किया। गुल्येल्मो मार्कोनी ने साल 1895 में एक ऐसा उपकरण तैयार कर लिया जो रेडियो सिग्नल का ट्रांसमिशन कर सकता हैं।

मार्कोनी की रेडियो वेव्स के क्षेत्र में काफी रूचि थी। उन्होंने पिछले प्रयोगो और सिद्धांतो का सटीक रूप से अध्ययन किया। रेडियो वेव्स के अध्ययन के बाद मार्कोनी ने इससे जुड़े एक्सपेरिमेंट करना शुरू कर दिए। अंत में मार्कोनी ने सफलतापूर्वक रेडियो का आविष्कार किया। ना केवल अविष्कार किया, बल्कि इसका प्रसार भी किया और इस क्षेत्र में कम्पनी खोलकर लोगो तक रेडियो प्रोद्योगिकी को पहुंचाया भी।

जगदीश चंद्र बोस और रेडियो का आविष्कार

रेडियो के आविष्कार के लिए Guglielmo Marconi को पेटेंट मिला हुआ हैं तो जाहिर हैं की उन्हें ही अधिकतर लोग रेडियो का आविष्कारक भी मानते हैं। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति भी था जिसने Guglielmo Marconi से पहले ही रेडियो का आविष्कार कर लिया था। वह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि महान भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस थे।

जगदीश चंद्र बोस वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने रेडियो सिग्नल्स को ट्रांसमिट और रिसीव किया था। लेकिन दुनिया उन्हें रेडियो के आविष्कार के लिए इसलिए नहीं जानती क्युकी उन्हें अपने आविष्कार के लिए पेटेंट लेने में कोई रूचि नहीं थी। Heinrich Rudolf Hertz के द्वारा रेडियो वेव्स पर लिखी गयी किताब से प्रभावित होकर बोस ने रेडियो का आविष्कार किया था।

Guglielmo Marconi के आविष्कार से पहले ही जगदीश चंद्र बोस ने साल 1895 के नवंबर में कलकत्ता के टाउन हॉल में लोगो के सामने रेडियो वेव्स पर आधारित अपना उपकरण रखा था। उन्होंने इस उपकरण के द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स को दीवारों को पार करते हुए 75 फिट तक भेजा। इससे उन्होंने एक बेल बजाकर दिखाया। और साथ ही थोड़े गनपॉवडर को एक्सप्लोड करके भी दिखाया।

सरल भाषा में कहा जाये तो बोस ही रेडियो के असली आविष्कारक थे। क्युकी उन्होंने रेडियो वेव्स के ट्रांसमिशन हेतु सबसे पहले एक उपकरण तैयार किया था। इतना ही नहीं उन्होंने लोगो के सामने सफलतापूर्वक इसका प्रदर्शन भी किया था। लेकिन इस आविष्कार का पेटेंट लेने के लिए उन्होंने कोई रूचि नहीं दिखाई। बोस को भारत में वायरलेस टेलीकम्युनिकेशन का फादर भी का जाता हैं।

भारत में रेडियो का इतिहास

जैसा कि हमने आपको बताया कि जगदीश चंद्र बोस ने रेडियो का आविष्कार सबसे पहले कर लिया था। लेकिन पेटेंट में रुचि ना होने की वजह से इसका श्रेय उन्हें नहीं दिया जाता। भारत दुनिया के उन देशों में से एक हैं। जहां सबसे पहले रेडियो का प्रसारण शुरू हुआ। भारत मे सालो से रेडियो का प्रसारण चल रहा है, आजादी से भी पहले से।

1920 के दशक में देश मे रेडियो के प्रसारण की शुरुआत हुई थी। साल 1923 में मुम्बई के रेडियो क्लब के द्वारा पहला रेडियो प्रसारण किया गया था। इसके नाद निजी स्वामित्व वाले ट्रांसमिटर्स को भी प्रसारण का अधिकार दिया जाने लगा। इसके बाद पहली बार 1927 मे मुंबई और कोलकाता में निजी ट्रांसमीटरों के द्वारा प्रसारण शुरू किया गया।

ट्रांसमीटरों की संख्या लगतार बढ़ती गयी और 1930 में सरकार ने इन्हें अपने नियंत्रण में ले लिया। उस समय अंग्रेजी शासन था। तो इन ट्रांसमीटरों के प्रसारण को मास टेलिकम्युनिकेशन का एक जरिया बनाकर ‘इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया‘ की शुरुआत की गई। इसके बाद आजादी के बाद साल 1957 में यह इम्पेरियल रेडियो ऑफ इंडिया ही ‘आकाशवाणी’ बना।

रेडियो के आविष्कार का महत्व

यह बात हम सभी भली भांति जानते हैं कि आज के समय में हमारे पास एक से बढ़कर एक वायरलेस तकनीके मौजूद हैं। इन आधुनिक उपकरणों के चलते सामान्य उपयोग में रेडियो प्रौद्योगिकी की उपयोगिता कम हो चुकी हैं। लेकिन आज भी FM सुनने के लिए, टेलीविजन के उपयोग हेतु और कई उपकरणों में रेडियो का उपयोग किया जाता हैं। रेडियो तकनीकी भी अब पहले के मुकाबले काफी ज्यादा विकसित हो चुकी हैं।

रेडियो के आविष्कार के महत्व के बारे में बात की जाये तो यह दुनिया में अब तक हुए सबसे बड़े आविष्कारों में से एक हैं। दरअसल आज के समय में भले ही हमारे पास संचार और टेलीकम्युनिकेशन के लिए एक से बढ़कर एक आविष्कार मौजूद हो लेकिन इन आविष्कारों का निर्माण भी तभी सम्भव हो पाया हैं क्युकी गुल्येल्मो मार्कोनी ने साल 1895 में रेडियो का आविष्कार किया था।

एक ऐसा समय था जब टेलीफोन ही संचार का मुख्य माध्यम हुआ करता था और अखबारों के द्वारा ही लोगो तक खबरे पहुंचा करती थी। ऐसे समय में रेडियो के आविष्कार की महत्वता की कल्पना आप कर सकते हैं। रेडियो के आविष्कार का ना केवल एफएम सुनने में उपयोग किया जाता हैं बल्कि कई अन्य उपकरण भी इसी तकनीकी पर काम करते हैं। रेडियो प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों में आपके स्मार्टफोन से लेकर सुरक्षा विभाग के कई बड़े यन्त्र तक शामिल हैं।

निष्कर्ष!

यह बात हम सभी जानते हैं कि रेडियो का आविष्कार अब तक के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण आविष्कारों के से एक हैं। लेकिन इसके बावजुद भी अधिकतर लोग ‘रेडियो का आविष्कार किसने किया’ और ‘रेडियो का आविष्कार कब हुआ’ जैसे विषयों पर जानकारी नहीं रखते। यही कारण हैं कि हमने यह लेख तैयार किया हैं जिसमे ‘रेडियो के आविष्कार की पूरी जानकारी’ आसान भाषा मे दी गयी हैं।

Leave a Comment